रुद्र : भाग-१३
अभय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर रुद्र को हो क्या गया है? उसने चुपके से अपना हाथ रुद्र के पीछे किया और उसकी पीठ पर धीरे से एक मुक्का मारा। रुद्र तुरंत वर्तमान में आ गया। उसने एक बार पीछे घूमकर अभय को देखा फिर उस लड़की को देखा। अब रुद्र अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आ गया था।
"नमस्ते। मेरा नाम रुद्र है।" रुद्र ने शरण्या की ओर देखते हुए अपने दोनों हाथ जोड़कर कहा।
रुद्र कि इस हरकत को देखकर अभय ने अपना धीरे से अपने सिर पर मारा।
"नमस्ते, मैं शरण्या।" उस लड़की ने मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर कहा।
"वैसे आपके साथ आपकी बहन भी आने वाली थी ना? वो नहीं आयी क्या?" अभय ने थोड़ा आगे आते हुए पूछा ताकि ये नमस्ते-नमस्ते का खेल जल्दी बंद हो सके।
"आप....?" शरण्या ने अभय को देखकर कहा।
"जी मैं इनका दोस्त हूँ। मेरा नाम अभय शेखावत है।" अभय ने मुस्कुराते हुए कहा।
"अच्छा। जी वो मेरे साथ ही थी, कहीं रुक गयी होगी। हर वक्त बस शरारत करती रहती...... वो रही....जल्दी आ शिवान्या!" शरण्या ने पीछे देखते हुए अपनी बहन को आवाज दी।
वहाँ से एक लड़की भागती हुई आ रही थी। उसकी पीठ पर एक लगेज बैग टंगा था। उसने हल्के पीले रंग का बिना आस्तीन वाला टॉप पहना हुआ था और काली रंग की जीन्स। साथ में उसने गुलाबी रंग का स्कार्फ भी लिया था। दिखने में वह भी शरण्या की तरह ही गोरी और प्यारी सी थी। उसने भी अपने बालों को खोल रखा था। उसे देखकर कोई भी कह सकता था कि वह आधुनिक विचारों वाली लड़की है।
वह लड़की भागती हुई आयी और शरण्या के पास खड़ी हो गयी। उसने अपने कान पकड़ते हुए कहा, "सॉरी दी। वो मैं पानी पी रही थी।"
"अच्छा। मुझे तो लगा फिर कोई मस्ती कर रही होगी।" शरण्या ने कहा।
"क्या दी आप भी न...... अरे! तुम दोनों कब से घूर क्यों रहे हो?" शिवान्या ने रुद्र और अभय की ओर देखते हुए कहा।
"अरे! इन्हें वो पापा के दोस्त पुरुषोत्तम अंकल ने भेजा है। क्या तू भी?" शरण्या ने शिवान्या को समझाते हुए कहा।
"ओह! मतलब अप्प ड्राइवर हैं। वैसे दी ये ड्राइवर कुछ ज्यादा ही हैंडसम नहीं हैं?" शिवान्या ने धीरे से कहा।
शरण्या को देख लग रहा था जैसे उसके मन में भी अब वही सवाल है, जो अभी-अभी शिवान्या ने उससे किया था। वैसे तो शिवान्या ने धीरे कहा था, मगर रुद्र ने उसकी बात सुन ली थी।
"आओ दोनों इतना मत सोचिए। हम दोनों में से कोई भी ड्राइवर नहीं है। मैं आपके पुरुषोत्तम अंकल का इकलौता बेटा हूँ, रुद्र, और ये है मेरा बचपन का दोस्त अभय।" रुद्र ने अपने और अभय की ओर इशारा करते हुए कहा।
"सॉरी। ये तो कुछ भी बोलती रहती है। चलिए अब चलते हैं यहाँ से।" शरण्या ने बाहर की ओर इशारा करते हुए कहा।
रुद्र और अभय भी मुस्कुरा दिए और चारों वहाँ से गाड़ी की ओर चल पड़े। कुछ देर बाद वो लोग गाड़ी में थे। रुद्र गाड़ी चला रहा था और अभय उसकी बगल वाली सीट पर बैठा था। शरण्या और शिवान्या पीछे वाली सीट पर थीं। शरण्या खिड़की से बाहर का नजारा देख रही थी और शिवान्या कानों में हैडफोन लगाकर गाने सुन रही थी।
"शरण्या जी, आप दोनों काफी थक गई होंगी। अगर आप कहें तो आगे एक ढाबा है, वहाँ गाड़ी रोक दूँ?" रुद्र ने गाड़ी चलाते हुए शरण्या से पूछा।
"वैसे भूख तो साफ है थोड़ी। और वहाँ थोड़ा फ्रेश भी हो जाएँगे, है ना छोटी?....छोटी??" शरण्या ने कहते हुए शिवान्या की ओर देखा। वह आँखें बंद कर गाने सुनने में मग्न थी।
शरण्या ने उसका हैडफोन साइड कर दिया। शिवान्या ने तुरंत आँखें खोली और इधर-उधर देखने लगी। शरण्या उसे घूर रही थी और रुद्र और अभय मुस्कुरा रहे थे।
"क्या दी आप भी? कितना मस्त गाना बज रहा था।" शिवान्या ने मुहँ फुलाकर कहा।
"गाने बाद में सुन लेना। अभी हम आगे ढाबे पर उतरेंगे कुछ खाने के लिए।" शरण्या ने कहा।
"अरे वाह! मुझे भी काफी भूख लगी है।" शरण्या ने उत्साहित होते हुए कहा। उसकी इस हरकत पर रुद्र, अभय और शरण्या हँस पड़े।
कुछ देर बाद रुद्र ने गाड़ी दायीं ओर घुमा दी और रोक दी। वहाँ सड़क से बस कुछ कदम दूर एक ढाबा था। ऊपर एक लकड़ी के बोर्ड पर लिखा था, 'भोला का ढाबा'। ढाबे के नाम के नीचे छोटे अक्षरों में 'शुद्ध शाकाहारी' लिखा हुआ था।
अभय, रुद्र, शरण्या और शिवान्या गाड़ी से उतरे और ढाबे की ओर चल पड़े। वहाँ अंदर एक काउंटर था जिसपर एक पचास साल के आसपास का व्यक्ति, सादा कुर्ता-धोती पहनकर बैठा हुआ था। अंदर की ओर रसोई घर था। बाहर खुली जगह में कुछ टेबल और कुर्सियाँ रखी हुई थीं, जिनपर लोग बैठकर खाना खाते थे।
रुद्र, अभय, शरण्या और शिवान्या भी एक खाली टेबल पर जाकर बैठ गए। वह एक आयताकार टेबल था। अभय और रुद्र टेबल की एक ओर बैठे थे और शरण्या व शिवान्या एक ओर।
"का लेंगे साहब?" एक तीस साल के आसपास के एक व्यक्ति ने उनके टेबल के पास आकर कहा। वह पहनावे से ही उस ढाबे का बेयरा लग रहा था। उसने सफेद रंग की शर्ट और नीचे पैजामा पहन रखा था।
"क्या लेंगी आप दोनों?" रुद्र ने शरण्या की ओर देखते हुए कहा।
"कुछ भी हल्का-फुल्का ले आइए।....अं...... पनीर की सब्जी है क्या?" शरण्या ने कहा।
"हाँ मैडम। अभी तैयार हो ही गयी है समझो।" उस बेयरे ने मुस्कुराते हुए कहा।
"ठीक है। दो रोटी और पनीर की सब्जी ले आइए।" शरण्या में मुस्कान के साथ कहा।
"मेरे लिए भी यही ले आइएगा।" शिवान्या ने कहा।
"तो फिर हम सब यही खा लेंगे। एक काम कीजिए, चारों का यही आर्डर लिख लीजिए।" अभय ने कहा।
"अ....नहीं नहीं। मेरे लिए सिर्फ एक मस्त मसालेदार चाय ले आइए।" रुद्र ने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा।
"अरे! क्या हुआ? तू कुछ क्यों नहीं ले रहा?" अभय ने थोड़ी हैरानी से कहा।
"मेरा अभी मन नहीं है यार।" रुद्र ने कहा।
"और ऐसा क्यों?" शरण्या ने अपनी मीठी आवाज में पूछा।
रुद्र समझ ही नहीं पाया क्या जवाब दे। अभय ने तुरंत रुद्र की स्थिति को भांप लिया और हँसते हुए कहा, "हाँ। तुझे तो सिर्फ यादव जी के समोसे पसंद हैं।"
"आप समोसे खाते हैं?" शिवान्या ने हैरानी से कहा। रुद्र, अभय और शरण्या उसे घूरकर देखने लगे।
"क्या? अरे, मेरा मतलब आपको देख कर लगता है कि आप तो बस उबला हुआ खाना खाते होंगे। आखिर इतनी अच्छी बॉडी है आपकी।" शिवान्या ने सफाई देते हुए कहा।
"नहीं ऐसा कुछ नहीं है। हम लोग ऐसे बीमारों वाले खाने से दूर रहते हैं। और जहाँ तक बात है बॉडी की, तो वो तो हमने बस शारीरिक मेहनत से बनाई है। लेकिन उसमें भी पेट और जीभ को तकलीफ नहीं दी।" अभय ने महान ज्ञानी पुरुष की तरह प्रवचन देते हुए कहा।
अभय की बात सुनकर सभी खिलखिलाकर हँस पड़े। कुछ देर बाद वो बेयरा उनका आर्डर लेकर आ गया। अभय, शरण्या और शिवान्या बातें करते हुए खाना खा रहे थे। रुद्र अपनी चाय का गिलास हाथ में लेकर वहीं पास ही चहलकदमी करता हुआ चाय की चुस्कियाँ ले रहा था। कुछ देर सभी खाना खा चुके थे। रुद्र भी वहीं पास ही बैठा अपने फोन पर कुछ कर रहा था। सभी शिवान्या का इंतजार कर रहे थे, जो कि वॉशरूम गयी हुई थी। वॉशरूम ढाबे के पीछे ही था। अचानक से शिवान्या वहाँ से पैर पटकते हुए आयी। उसके चेहरे पर गुस्से और चिढ़ के मिले-जुले भाव थे। अभय, रुद्र और शरण्या उसे हैरानी से देख रहे थे। वह आयी और शरण्या के बगल में आकर हाथ बाँधकर खड़ी हो गयी।
"क्या हुआ छोटी? इतने गुस्से में क्यों लग रही है?" शरण्या ने बड़े ही प्यार से पूछा।
"और क्या होगा दी? कितना गंदा था वॉशरूम! यक!" शिवान्या ने गुस्से से कहा।
उसकी बात सुनकर रुद्र और शरण्या मुस्कुरा उठे। वहीं अभय ने अपना सिर पीट लिया। उसके बाद शरण्या के लाख मना करने के बाद भी रुद्र ने खाने का बिल भरा और फिर वो चारों गाड़ी की ओर बढ़ गए। अब गाड़ी चलाने की बारी अभय की थी। चारों गाड़ी में बैठ गए। बस रुद्र और अभय ने आपस में जगह बदल ली थी। सब लोग शांति से बैठे हुए थे।
"वैसे आज तो मंडे है ना? अब तो बारह बज चुके हैं। आप दोनों ने आज अपने काम से छुट्टी ली है या फिर बेरोजगार हैं?" शिवान्या ने भोलेपन से पूछा।
"चुपकर! पागल। कुछ भी बोलती रहती है।" शरण्या ने शिवान्या को डाँटते हुए कहा।
रुद्र कुछ कहने ही वाला था, कि अभय ने अचानक गाड़ी रोक दी। रुद्र ने खिड़की से बाहर झाँककर देखा तो उसे पता चला कि उसका घर आ चुका है।
"अभय, गाड़ी यहीं छोड़ दे। हमें अभी फिर निकलना भी तो है।" रुद्र ने कहा।
"ठीक है।" कहते हुए अभय ने गाड़ी की चाभी निकाल ली।
चारों गाड़ी के बाहर आ गए। शिवान्या गैर से घर को देख रही थी।
"वाओ!! कितना बड़ा घर है।" शिवान्या ने हैरान होते हुए कहा।
"जी ये हमारी पुश्तैनी हवेली है। आपका घर भी ऐसा ही है। वो देखिए सामने।" रुद्र ने अपने घर के सामने की ओर इशारा करते हुए कहा।
वहाँ एक पुराना घर था। रुद्र ले घर से थोड़ा ही छोटा रहा होगा। मगर उसे देखकर साफ पता चल रहा था कि काफी समय से उस घर और उसके बगीचे की देखभाल नहीं हुई थी।
"ये तो कितना गंदा हो चुका है।" शिवान्या ने बुरा-सा मुँह बनाते हुए कहा।
"पापा ने बात कर ली है। कल से वहाँ की साफ-सफाई शुरू हो जाएगी। तब तक आप दोनों हमारे घर में रहेंगी। चलिए, अंदर चलते हैं।"रुद्र ने मुस्कुराते हुए कहा।
कुछ देर बाद चारों अंदर थे। अंजना जी ने मुरली काका को दोपहर का खाना बनाने के लिए कह दिया था। अंजना जी सोफे पर बैठकर शरण्या और शिवान्या से बातें कर रही थीं। रुद्र और अभय वहीं पास में खड़े होकर कुछ फुसफुसा रहे थे।
"अरे, तुम दोनों भी कुछ देर बैठ जाओ। कब से खड़े हो?" रुद्र की माँ ने उसे और अभय को देखते हुए कहा।
"नहीं माँ! अभी तो हम दोनों को स्टेशन जाना है। बस मुरली काका पानी लेकर आएँ, पानी पीकर तुरंत निकल जाएँगे।" रुद्र ने अपनी व्यस्तता बताते हुए कहा।
"स्टेशन? किसे लेने जा रहे हैं वहाँ?" शिवान्या ने पूछा।
"अरे!....गलती मेरी ही है, जी स्टेशन मतलब पुलिस स्टेशन, पुलिस स्टेशन जाना है हमें।" रुद्र ने शिवान्या को समझाते हुए कहा।
"पुलिस स्टेशन? कोई परेशानी है क्या?" शरण्या ने हैरान होते हुए पूछा।
"नहीं नहीं शरण्या बेटी, इन दोनों का काम ही यही है।" अंजना जी ने मुस्कुराते हुए कहा।
"काम? पुलिस स्टेशन में कैसा काम?" शिवान्या ने फिर से सवाल किया।
रुद्र ने इस बार लाचारी से अभय की ओर देखा। वह अब परेशान हो चुका था इतने सवालों से। और सबसे बड़ी तकलीफ थी कि उसने इससे ज्यादा बात नहीं की थी किसी लड़की से।
"जी ये हैं एसीपी रुद्र रघुवंशी, और मैं सीनियर इंस्पेक्टर अभय शेखावत।" अभय ने अपना और रुद्र का परिचय दिया।
इतना सुनते ही शरण्या और शिवान्या कुछ ज्यादा ही प्रभावित लग रही थीं।
इससे पहले की कोई और कुछ कहता, मुरकी काका वहाँ चाय-नाश्ता लेकर आ गए। रुद्र और अभय ने पानी का गिलास उठाया और फटाफट उसे कहि कर दिया।
"माँ अब हम चलते हैं। मैं आठ-साढ़े आठ तक आ जाऊँगा।" रुद्र ने हमेशा की तरह कहीं जाते हुए अपनी माँ के पैर छूते हुए कहा।
अभय ने भी अंजना जी से आशीर्वाद लिया और वो दोनों जल्दी से घर से बाहर चले गए। शरण्या एक प्यारी सी मुस्कान लिए, रुद्र को जाते हुए देख रही थी।
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रुद्र अपने कैबिन में बैठा कुछ फाइलें पढ़ रहा था। आज उसने वर्दी नहीं पहनी थी। सुबह उसे कपड़े बदलने का समय ही नहीं मिला था। थोड़ी देर बाद अभय रुद्र के कैबिन में दाखिल हुआ। रुद्र ने अभय को फोन करके बुलाया था। अभय आकर रुद्र की सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया।
"क्या हुआ रुद्र? क्या जरूरी बात करनी है? आर्या की केस फाइल में कुछ मिला क्या?" अभय ने एक साथ कई सारे सवाल पूछे।
"आर्या के केस के बारे में नहीं यार। अभी ये फाइलें तो मैं आज घर ले जा रहा हूँ, वहीं पढ़ लूँगा।" रुद्र ने फाइल बंद कर एक किनारे रखते हुए कहा।
"तो फिर बात क्या है?" अभय ने फिर सवाल किया।
"वो.....वो मुझे आज सुबह के बारे में बात करनी है।" रुद्र ने गंभीर होते हुए कहा।
"सुबह के बारे में? अ....अच्छा! मुझे लगा ही था तुझे पहली ही झलक में शरण्या पसंद आ गई थी। अरे इसमें इतना टेंशन क्यों लेता है? तू आगे बढ़। मैं विराज और विकास को भी बता देता हूँ।" अभय ने जेब में से अपना फोन निकलते हुए कहा।
"चुपकर गधे!" कहते हुए रुद्र ने पास ही रखी एक डायरी उठाकर अभय के सिर पर मारी।
"आह! क्या कर रहा है?" अभय ने अपना सिर सहलाते हुए कहा।
"मैंने तुझे उनके बारे में बात करने के लिए नहीं बुलाया है।" रुद्र ने बात स्पष्ट करते हुए कहा।
"तो फिर बात क्या है?" अभय ने सामान्य होते हुए पूछा।
"वो बात दरअसल ये है कि, जब आज सुबह हम एयरपोर्ट जा रहे थे, तब मैंने देखा था कि एक गाड़ी एयरपोर्ट तक हमारे पीछे ही थी।......"
"हाँ! मैंने भी देखा था। एक नहीं बहुत गाड़ियाँ थीं। क्या यार तू भी हर वक्त कितना सोचता रहता है।" अभय ने लापरवाही से कहा।
जब रुद्र ने कोई जवाब नहीं दिया, तो अभय ने उसकी ओर देखा। रुद्र अभय को गुस्से से घूर रहा था। अभय सकपका गया और बोला, "सॉरी। बोलना क्या बोल रहा था तो?"
"अब जब तक मैं बोलना बंद नहीं करूँगा, तू चुप रहेगा। हाँ....मैं ये इसलिए कह रहा था कि उस गाड़ी को मैंने एयरपोर्ट से निकलने के बाद भी हमारी गाड़ी के पीछे देखा था। इसलिए मुझे लगता है कोई तो था, जो हमारा पीछा कर रहा था। " रुद्र ने गंभीरता कायम रखते हुए कहा।
"तूने उस गाड़ी का नंबर देखा था?" अभय ने भी गंभीर स्वर में कहा।
"वो तो मैंने पहले ही नोट कर लिया था। मैंने ढाबे पर रुकने का आईडिया दिया था, क्योंकि मुझे लगा शायद हम रुकें और वो आगे चला जाए। लेकिन फिर मुझे पूरा यकीन हुआ कि कुछ तो गड़बड़ जरूर थी। क्योंकि मैंने ढाबे पर अपने फोन पर चेक किया था। उस नंबर की कोई गाड़ी है ही नहीं। वो नंबरप्लेट नकली थी।" रुद्र ने कहा।
अभय को याद आया कि रुद्र ढाबे पर काफी देर तक फोन पर ही लगा हुआ था।
"मतलब कोई तो है, जो हमारा या फिर हो सकता है, तेरा पीछा कर रहा है।" अभय ने कहा।
"हाँ, और मुझे लगता है शायद इनसब के पीछे आर्या हो। हमारी तो पहले से ही दुश्मनी थी और फिर मैंने उसके शेरा को भी मार दिया था।" रुद्र ने अपना शक जाहिर करते हुए कहा।
"ये भी हो सकता है कि ये जो अपहरण हुए थे, उनमें भी आर्या का ही हाथ रहा हो। खैर अभी तक उस रघु ने कोई बयान नहीं दिया है।" अभय ने कहा।
"हम्म। वैसे कल मैं जा रहा हूँ उस रघु से पूछताछ करने। देखते हैं कुछ पता चलता है या नहीं। चल, अभी चलते हैं घर। तू भी रास्ते में एक दो बार पीछे ध्यान दे देना।" रुद्र ने कुर्सी से उठते हुए कहा।।
"तूने विराज और विकास को नहीं बुलाया?" अभय भी उठता हुआ बोला।
"अरे वो विकास किसी केस की तहकीकात करते हुए नाशिक गया है। काल शाम तक लौटेगा। और विराज कमिश्नर साहब को कोई रिपोर्ट देने गया है।" रुद्र ने फाइलें समेटते हुए कहा।
अभय और रुद्र बाहर आए। अभय ने फाइलें गाड़ी में रखने में रुद्र की मदद की। उसके बाद अभय और रुद्र अपनी-अपनी गाड़ियों से अपनेे-अपने घर की ओर चले गए।
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कैसे पता करेगा रुद्र कि कौन कर रहा है उसका पीछा? आखिर क्या सोच है आर्या ने? क्या होने वाला है रुद्र और शरण्या की कहानी का? जानिए अगले भाग में।
अमन मिश्रा
🙏
BhaRti YaDav ✍️
30-Jul-2021 06:50 AM
Nice
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